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श्रीनगर कुछ देर मे आने ही वाला था अब जाकर कुछ ट्रैफिक नज़र आने लगा था। महिंद्रा बोलेरो, टाटा सूमो, लोगों की पर्सनल गाड़ियाँ सटासट दौड़ रही थी। किसी पर बीजेपी तो किसी गाडी पर आप(आम आदमी पार्टी) के। तभी एक पुलिस वाले ने हाथ दिया, मैंने सोचा हो सकता है दिल्ली कि गाडी और अकेला सवार है कहीं ये सोचकर रोक रहा हो। मैंने गाड़ी रोकी, एक पुलिस कर्मी मेरी तरफ़ आया और दूसरा गाड़ी के आगे खड़ा हो गया। मुझे डरने की कोई लोड नहीं थी गाड़ी के कागज़ पूरे थे।
पुलिस वाला - कहाँ जा रहे हो ?
मैं - केदारनाथ।
पुलिस वाला - अकेले ?
मैं - हाँ।
पुलिस वाला - बड़ी हिम्मत है।
मैं - बस जि मूड़ कर गया।
दूसरा पुलिस वाला - क्या आप मुझे श्रीनगर तक छोड़ दोगे ?
मैं - मोस्ट वेलकम। आजाओ।